कीर्तन- प्रभु तुमसे ना टुटे कभी प्रीत की डोर
।। स्थाई ।।
प्रिय परम में देह मन प्राण विभोर
प्रभु तुमसे ना टुटे कभी प्रीत की डोर
(ओ मेरे दाता जीवन स्वामी)2
(तुम रहते अंतर में नामी)2
--(तुमसे ना टुटे कभी प्रीत की डोर)
प्रिय परम में देह मन प्राण विभोर
प्रभु तुमसे ना टुटे कभी प्रीत की डोर
।। अंतरा ।।
1) (तुम्हारे सुर बन्धन में जब जब तान मिलाता है)2
(ईष्टायन एत मंत्र मधुर संगीत सुनाता है)2
तन मन हर्षाता है! तन मन हर्षाता है
(ओ मेरे जीवन नाथ नारायण)2
(तुम प्रेमन करते आपुरण)2
(ओ मेरे जीवन नाथ नारायण)--कीर्तन
आज लगे ना भव संसार कठोर
-------पुनः------
प्रिय परम में देह मन प्राण विभोर
(प्रभु तुमसे ना टुटे कभी प्रीत की डोर)2
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