राग - हमीर
राग हमीर एक चंचल और वीर रस प्रकृति का राग है, इसकी उत्पत्ति कल्याण थाट से हुई है। राग हमीर में दोनों मध्यम (म) का प्रयोग किया जाता है। राग हमीर की अन्य जानकारियां इस प्रकार है:-
राग - हमीर
थाट - कल्याण
थाट के स्वर - सा रे ग म' प ध नी (म तीव्र, और बाकी स्वर शुद्ध)
जाति - सम्पूर्ण- सम्पूर्ण (वक्र- सम्पूर्ण)
वादी स्वर- धैवत (ध), सम्वादी स्वर- गंधार (ग)
विवादी स्वर - कभी- कभी अवरोह में कोमल निषाद (नी)
वर्जित स्वर- ×
आरोह- सा रे सा ,ग म नी ध , नी सां
आवरोह- सां नी ध प, म' प ग म रे सा
पकड़- सा रे सा, ग म नी ध ।
गायन प्रहर - रात्रि का प्रथम प्रहर (प्रदोष 6-9pm)
न्यास के स्वर- सा,प और ध
विशेष स्वर संगतियां -
मिलता-जुलता राग- केदार तथा कामोद
राग हमीर की अन्य विशेषताएं
1) तीव्र मध्यम (म') का प्रयोग केवल आरोह में, पंचम के साथ किया जाता है, और शुद्ध मध्यम (म) का प्रयोग आरोह तथा अवरोह दोनों में किया जाता है।
2) अवरोह मे गांधार (ग) वक्र रूप में प्रयोग करते हैं।
3) यह एक उत्तरांग प्रधान राग है।
आलाप और तानें
Comments
Post a Comment