he nath ab to aisi Daya Ho Jeevan nirarthak jaane Na paye lyrics Jeevan ki asha हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए
सत्संग भजन- हे नाथ अब तो ऐसी दया हो जीवन निरर्थक जाने न पाए
।। स्थाई ।।
(हे नाथ अब तो ऐसी दया हो)2
(जीवन निरर्थक जाने न पाए) 2
ये मन न जाने क्या क्या कराए
(कुछ बन न पाया मेरे बनाए)
--(हे नाथ अब तो ऐसी दया हो)
।। अंतरा ।।
1) (ऐसा जगा दो फिर सो ना जाऊं
अपने को निष्काम प्रेमी बनाऊं)2
(तुमको ही चाहूं, तुमको ही पाऊं)2
( संसार का सब भय मिट ही जाए)2
--(हे नाथ अब तो ऐसी दया हो)
2) (वो योग्यता दो सत्कर्म कर लूं
अपने हृदय में सद्भाव भर लूं) 2
नर्तन है साधन भव सिंधु तर लूं
(ऐसा समय फिर आए ना आए)2
--(हे नाथ अब तो ऐसी दया हो)
3) (संसार में ही आसक्त रहकर
दिन रात अपने मतलब कि कहकर)2
(सुख के लिए दुख लाखों उठाएं)2
(ना बन सका कुछ मेरे बनाएं)2
-------पुनः------
(हे नाथ अब तो ऐसी दया हो)2
(जीवन निरर्थक जाने न पाए) 2
ये मन न जाने क्या क्या कराए
(कुछ बन न पाया मेरे बनाए)
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