निर्गुण- सब दिन होत ना एक समानागायक- मदन राय
।। स्थाई ।।
(सब दिन होत ना एक समाना
सब दिन होत ना एक समाना)4
।। अंतरा ।।
1) (एक दिन राजा हरिश्चन्द्र गृह कंचन भरे खजाना
जी कंचन भरे खजाना)2
(एक दिन भरे डोम घर पानी)2
मरघट गए निशाना!
--(सब दिन होत ना एक समाना)4
2) ( एक दिन राजा रामचन्द्र जी, चढ़ के जात विमाना
जी चढ़ के जात विमाना )2
(एक दिन उनका बनवास भयो)2
दशरथ तजे प्राना! साधो
--(सब दिन होत ना एक समाना)4
3) (एक दिन अर्जुन महाभारत में जीते इन्द्र समाना
जी जीते इन्द्र समाना )2
(एक दिन भीलन लूटी गोपिका)2
वहीं अर्जुन वहीं वाना!
--(सब दिन होत ना एक समाना)4
4) (एक दिन बालक भयो गोद मा ,एक दिन भयो सयाना
जी एक दिन भयो सयाना )2
(एक दिन चिता जरे मरघट पे)2
धुआ जात आसमाना!
--(सब दिन होत ना एक समाना)4
5) (कहत कबीर सुनो भाई साधो ,यह पद है निर्वाणा
जी यह पद है निर्वाणा )2
(यह पद का जो अर्थ लगइहे)2
होन हार बलवाना!
--(सब दिन होत ना एक समाना)4
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